फर्क पड़ता है! – प्रेरणादायक कहानी
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हम सब आदर्शवादी और अच्छे कार्य करने की बातें करते रहते है| जैसे बिजली बचाना, सड़क पर कचरा न फेंकना, शादी समारोह अथवा अन्य आयोजनों या अपने घर में भोजन को waste न करना, ट्रेफिक नियमों का पालन करना, किसी जरूरतमंद की मदद क...
बेटे ने कहा, “नहीं सर, मैंने कुछ भी नहीं छोड़ा है” – एक रोचक कहानी
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A son took his old father to a restaurant for an evening dinner. Father being very old and weak, while eating, dropped food on his shirt and trousers. Other diners watched him in disgust while his son was calm.A...
उन्होंने कहा, “मैंने भगवान के साथ दोपहर का भोजन किया था” एक रोचक कहानी
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There once was a little boy who wanted to meet God. He knew it was a long trip to where God lived, so he packed his suitcase with Twinkies and a six-pack of root beer and started his journey. When he had gone about th...
गुरु जी का शिष्यों को आखिरी उपदेश – एक प्रेणादायक कहानी
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गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों में आज काफी उत्साह था , उनकी बारह वर्षों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और अब वो अपने घरों को लौट सकते थे . गुरु जी भी अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा से प्रसन्न थे और गुरुकुल की...
पापा, क्या मैं आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? एक प्रेणादायक कहानी
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एक व्यक्ति office में देर रात तक काम करने के बाद थका -हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजाये उसका इंतज़ार कर रहा है .अन्दर घुसते ही बेटे ने ...
आलस्य को त्यागकर श्रम करने की सीख देती एक प्रेणादायक कहानी
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एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की ...
सत्संग की संगत – बीबी अचरज और हैरानी से बाबा जी को देखती हैं एक दिलचस्प कहानी
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सत्संग खत्म होने के बाद बाबा जी स्टेज के पीछे सीढियों से नीचे जा रहे थे, साथ में पाठी बीबी भी थे, पाठी बीबी बाबा जी से कहती हैं “बाबा जी आज तो काफी संगत आई है भंडारे पे, जरा अंदाज़े से बताइए की आज का सत्संग सुनने के ल...
लोभ का फंदा जिसके गले में एक बार पड़ा वह मुश्किल से ही निकल पाता है – एक दिलचस्प कहानी
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एक धनी व्यक्ति दिन-रात अपने व्यापारिक कामों में लगा रहता था। उसे अपने स्त्री-बच्चों से बात करने तक की फुरसत नहीं मिलती थी। पड़ोस में ही एक मजदूर रहता था जो एक रुपया रोज कमाकर लाता और उसी से चैन की वंशी बजाता। रात को वह...