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एक बार की बात है, एक नगर में एक राजा रहता था जिसके खजाने भरपूर भरे हुए थे. एक दिन कालू नाम के चोर ने राजा के खजाने को चोरी करने की योजना बनाई. आधी रात को कालू राजा के महल में चोरी करने पहुँच गया. वह खजाने के दरवाजे में छेद करने लगा. राजा भी उस समय जगा हुआ था, उसे कुछ आवाज सुनाई दी, वह बाहर आया, आवाज खजाने की दिशा से आ रही थी, वह इसे जांचने वहा गया. राजा ने साधारण से वस्त्र पहने हुए थे और चोर उन्हें पहचान नहीं पाया.

राजा ने कालू से पूछा तुम कौन हो और क्या कर रहे हो. कालू ने कहा मै चोर हूँ और खजाना लुटने आया हूँ, मुझे लगता है की तुम भी चोर हो और इसी इरादे से आये हो. कोई नहीं, हम दोनों साथ ही अंदर चलकर खजाना लुट लेते है और खजाने का आधा-आधा हिस्सा कर लेंगे. उन्होंने ऐसा ही किया और खजाने का सारा पैसा और जवाहरात लूटकर आधा-आधा बाँट लिया.

वहाँ हीरे के तीन टुकड़े भी पढ़े हुए थे. चोर ने कहा की इन हीरे के तीन टुकड़ो को दोनों में कैसे बांटेंगे, तब राजा ने सुझाव दिया की हम इन तीन हीरे के टुकड़ो में से एक गरीब राजा के लिए छोड़ देते है और एक-एक हम रख लेते है. चोर इस बात पर राजी हो गया. जब चोर अपना हिस्सा लेकर जाने लगा तब राजा ने उससे उसका नाम और पता पूछा. कालू ने सच बोलने की कसम खा राखी थी इसलिए उसने सब कुछ सच-सच बता दिया.

राजा ने अपना हिस्सा लिया और उसे अपने कमरे में छुपा दिया. अगली सुबह उसने अपने प्रमुख मंत्री को खजाने का निरीक्षण करने के लिए कहा. मंत्री ने निरीक्षण करते वक्त देखा की सारा खजाना खाली हो गया है, केवल हीरे का एक टुकड़ा ही बचा है.

उसे पता चल गया की खजाना चोरी हो गया है. उसने हीरे को उठाया और अपनी जेब में रख लिया. उसने सोचा की सब सोचेंगे की चोर ने सारा खजाना चुराया है और कोई मुझपे शक भी नहीं करेगा. मंत्री ने राजा को सारी बात बताई की सारा खजाना चोरी हो चूका है, कुछ भी नहीं बचा. राजा ने अपने सिपाहियों को बोला की वे कालू को पकड़ कर दरबार में ले आये.

सिपाहियों ने ऐसा ही किया, जब कालू दरबार में पहुँचा तो वह राजा को पहचान नहीं पाया की वह उसका चोर साथी है. राजा ने उससे पूछा की क्या तुम ही वही चोर हो जिसने सारा खजाना लुटा है और कुछ नहीं छोड़ा. कालू ने सच सच बता दिया की मैंने आधा खजाना लुटा है आधा मेरे साथी ने लुटा है, मैंने साथी चोर की सलाह पर वहां एक हीरे का टुकड़ा आपके लिए छोड़ दिया था और वो टुकड़ा वही पर होगा. मंत्री ने राजा से कहा की यह चोर झूठ बोल रहा है, मैंने खुद जांचा है वहां कुछ नहीं था.

राजा ने अपने सिपाहियों से कहा की वे मंत्री की तलाशी ले. तलाशी के वक्त मंत्री की जेब से वो हीरे का टुकड़ा मिल गया. इस प्रकार राजा ने अपनी चतुराई से अपना खजाना भी बचा लिया और अपने मंत्री की वफादारी के बारे में भी पता लगा लिया.

असली चोर कौन था

कालू ने चोर होते हुए भी सच बोला जबकि मंत्री ने ना केवल चोरी की बल्कि झूठ भी बोला. कालू से बड़ा चोर राजा का मंत्री था क्योकि मंत्री राजा का वफादार होता है, राजा अपने मंत्री पर भरोसा करता है और उससे बुरे वक्त पर सलाह मांगता है. राजा का मंत्री चोर और जूठा था और ऐसे गुण वाले मंत्री से ना केवल राजा को बल्कि पुरे राज्य को नुकसान हो सकता है.  कहने का मतलब ये है की ज्यादा खतरा अच्छे लोगो के बुरा काम करने से है.

दोस्तों हम आपके लिए अक्सर intersting stories लेकर आते रहते है. hindi stories की इस कड़ी में हम आपके लिए एक और रोचक कहानी लेकर आये है जो राजा की चतुराई पर आधारित है. उम्मीद है की ये आपको पसंद आएगी  और एक अच्छी शिक्षा (teaching) आप को देगी.