हर तरफ यही सुनाई देता …“ अरे ये बहुत कठिन है. ये लोग कभी भी सीधे पहाड़ पर नहीं चढ़ पायंगे, सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं, इतने सीधे पहाड़ पर तो चढ़ा ही नहीं जा सकता और यही हो भी रहा था, जो भी आदमी कोशिश करता, वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता, कई लोग दो -तीन बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगे हुए थे …पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी, ये नहीं हो सकता, असंभव और वो उत्साहित प्रतियोगी भी ये सुन-सुनकर हताश हो गए और अपना प्रयास धीरे धीरे करके छोड़ने लगे,
दोस्तों ये कहानी हमें यही सिखाती है की आईये हम, हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज को अनसुना करें और उसके प्रति बहरे हो जाएँ तथा हर उस दृश्य के प्रति अंधे हो जाएँ जो हमें सफलता के शिखर तक पहुँचने से रोकते हैं।