वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है – एक प्रेणादायक कहानी
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हमेशा अच्छा करो ??एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था...
उसका उत्तर सुनकर मैं तो जड़-सी हो गई – एक प्रेणादायक कहानी
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वो समझदार बहू शाम को गरमी थोड़ी थमी तो मैं पड़ोस में जाकर निशा के पास बैठ गई। आखिर ,उसकी सासू माँ भी तो कई दिनों से बीमार है….. सोचा ख़बर भी ले आऊँ और निशा के पास बैठ भी आऊँ। मेरे बैठे-बैठे पड़ोस में रहने वाली उसकी...
द्वार खुला होने के कारण उनकी आवाजें बाहर कमरे में बैठी माँ को भी सुनाई दे रहीं थीं…
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बेटा-बहु अपने बैडरूम में बातें कर रहे थे। द्वार खुला होने के कारण उनकी आवाजें बाहर कमरे में बैठी माँ को भी सुनाई दे रहीं थीं। बेटा---" अपने job के कारण हम माँ का ध्यान नहीं रख पाएँगे, उनकी देखभाल कौन करेगा ? क...
उन्होंने कहा, “मैंने भगवान के साथ दोपहर का भोजन किया था” एक रोचक कहानी
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There once was a little boy who wanted to meet God. He knew it was a long trip to where God lived, so he packed his suitcase with Twinkies and a six-pack of root beer and started his journey. When he had gone about th...
उस कागज को पढ़ते ही माँ कि आँखों से आँसू बहने लगे – एक दिलचस्प कहानी
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एक दिन एक छोटा सा बालक जो कि प्राइमरी स्कूल का छात्र था, भागते-भागते अपने घर आया और एक कागज का पन्ना अपनी माँ को दिया और बोला….”मेरे शिक्षक ने यह कागज दिया है और कहाँ है कि इसे अपनी माँ को ही देना.” उस कागज को पढ़त...
बाबाजी बोले – लो, तुम्हें इसी सन्दर्भ में एक कहानी सुनाता हूँ
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एक बार एक शिष्य ने विनम्रतापूर्वक अपने गुरु जी से पूछा-‘गुरु जी,कुछ लोग कहते हैं कि जीवन एक संघर्ष है,कुछ अन्य कहते हैं कि जीवन एक खेल है और कुछ जीवन को एक उत्सव की संज्ञा देते हैं | इनमें कौन सही है?’गुरु जी ने तत्क...
बाबा भला ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचने से बारिस नहीं हुई और आपके नाचने से हो गयी ? एक प्रेणादायक कहानी
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किसी गाँव मे एक बाबाजी रहा करता था ,वो जब भी नाचता तो बारिस होती थी . अतः गाव के लोगों को जब भी बारिस की जरूरत होती थी ,तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते की वे नाचे , और जब वो नाचने लगता तो बारिस ज़रूर हो...
बाबाजी ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सत्संग शुरू की – एक प्रेणादायक कहानी
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बाबाजी ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सत्संग शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए. फिर बाबाजी ने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें ...