एक नगर में एक धनवान व्यक्ति रहता था वह बड़े विलासी किस्म का था हर पल उसके मन में भोग विलास के विचार चलते रहते थे | एक दिन संयोग से किसी संत से उसका सम्पर्क हुआ | वह संत से अपने भोगी और अशुभ विचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने लगा | संत ने उस से कहा अच्छा अपना हाथ दिखाओ |
हाथ देखकर संत भी चिंता में पड़ गये | संत बोले अरे विचारो से मैं तुम्हे मुक्ति दिला देता पर तुम्हारे पास समय बहुत कम है आज से एक माह के बाद तुम्हारी मृत्यु निश्चित है | इतने कम समय में तुम्हारे कुत्सित विचारों से मैं तुम्हे निजात कैसे दिला सकता हूँ और फिर तुम्हे भी तो तुम्हारी तेयारियां करनी होंगी |
वह भोगी व्यक्ति चिंता में पड़ गया कि अब क्या होगा लेकिन फिर भी सोचने लगा कि चलो अच्छा है समय रहते पता तो चल गया कि मेरे पास समय कम है | वह घर और व्यवसाय को व्यवस्थित और नियोजित करने में लग गया |
परलोक के लिए गुण अर्जन की योजनायें बनाने लग गया | सभी से अच्छा व्यव्हार करने लग गया |जब एक दिन बचा तो उसने सोचा कि चलो एक बार संत के दर्शन को कर लिए जाये ताकि मेरा जाना तो अच्छा हो जाये |
संत में उसे आते देखकर पूछा कि बड़े शांत नजर आ रहे हो क्या बात है और अच्छा बताओ “कोई सुरा-सुंदरी के साथ भोग विलास ही योजना बनी क्या ” तो इस पर उस व्यक्ति ने बोला “अब अंतिम समय में जब मृत्यु समक्ष हो तो भोग विलास कैसा ?”
संत हस दिए और बोले चलो वत्स चिंता मत करो और भोग विलास से दूर रहने का एक मात्र उपाय यही है कि मृत्यु को सदेव याद रखो | मृत्यु निश्चित है यह विचार सदेव सन्मुख रखना चाहिए और उसी के अनुसार प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए |
Inspirational Hindi Stories ( प्रेरणादायी लघु कहानियां )
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