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चीजें हमेशा वैसी नहीं होतीं, जैसी दिखती… एक रोचक कहानी

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सन्तों की अपनी ही मौज होती है! एक संत अपने शिष्य के साथ किसी अजनबी नगर में पहुंचे। रात हो चुकी थी और वे दोनों सिर छुपाने के लिए किसी आसरे की तलाश में थे। उन्होंने एक घर का दरवाजा खटखटाया, वह एक धनिक का घर था और अंदर स...

गुरुजी ने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ बड़े-बड़े…

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बहुत पुरानी कथा है। एक बार एक गुरुजी ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े-बड़े आलू साथ लेकर आएं। उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए, जिससे वे नफरत...

वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है – एक प्रेणादायक कहानी

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हमेशा अच्छा करो ??एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था...

दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजाखोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उस..

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एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उस...

जिन्दगी में अनुभव और आत्मज्ञान का महत्व – एक प्रेणादायक कहानी

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एक गांव में महान तलवरबाज़ रहा करता  था. पूरा साम्राज्य उसकी महानता के गुण गाता। तलवार के दम पर उसने आपने राजा के लिए कई लड़ाईया जीती। लेकिन समय पर किसका जोर चलता है लड़ाईया बढ़ती गई और तलवरबाज़ बुढा होने लगा. उसने तय कि...

कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज को अनसुना करें – एक प्रेणादायक कहानी

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एक बार एक सीधे पहाड़ में चढ़ने की प्रतियोगिता हुई. बहुत लोगों ने हिस्सा लिया. प्रतियोगिता को देखने वालों की सब जगह भीड़ जमा हो गयी. माहौल  में  सरगर्मी थी , हर तरफ शोर ही शोर था. प्रतियोगियों ने चढ़ना शुरू किय...

चरणों की छाप से किस्मत पलट जाती है

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चरणों की छाप से किस्मत पलट जाती है….. सन्त महापुरुषों की शरण संगति में आने से उनके पावन सत्संग से जीव की किस्मत सँवर जाती है। एक बार दशम पादशाही श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार सजा हुआ था कर्म फल के प्रसंग पर पाव...

उसका उत्तर सुनकर मैं तो जड़-सी हो गई – एक प्रेणादायक कहानी

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वो समझदार बहू शाम को गरमी थोड़ी थमी तो मैं पड़ोस में जाकर निशा के पास बैठ गई। आखिर ,उसकी सासू माँ भी तो कई दिनों से बीमार है….. सोचा ख़बर भी ले आऊँ और निशा के पास बैठ भी आऊँ। मेरे बैठे-बैठे पड़ोस में रहने वाली उसकी...